कर्मकांड का कमाल देखो हम ही प्राण प्रतिष्ठा कर के बुलाते है जो भी विषय के देवता को और कर भी देते है विदाय !! अपने अपने कामो के लिए ..
परमात्मा एक ही है !! देव उनके विविध कार्य विषय अनुसार है ! देव को आवाहन से बुलाया जाता है !! इस पध्धति कर्मकांड में है !!जो जन्मे और मर गए उनकी प्राणप्रतिष्ठ नहीं होती। फिर भी भक्तो का मन रखने के लिए आचार्य दत्तात्रेय गुरु संत की जगह कर देते है !! देव एक से अनेक हो सकते है !! इसीलिए तो एक ही समय पर अनेक जगा पर अनेक पुजा की जगाओं पर गणेशजी की स्थापना हो सकती है !! जैसे राम कृष्ण में विष्णु की होती है !!
परमात्मा एक ही है !! देव उनके विविध कार्य विषय अनुसार है ! देव को आवाहन से बुलाया जाता है !! इस पध्धति कर्मकांड में है !!जो जन्मे और मर गए उनकी प्राणप्रतिष्ठ नहीं होती। फिर भी भक्तो का मन रखने के लिए आचार्य दत्तात्रेय गुरु संत की जगह कर देते है !! देव एक से अनेक हो सकते है !! इसीलिए तो एक ही समय पर अनेक जगा पर अनेक पुजा की जगाओं पर गणेशजी की स्थापना हो सकती है !! जैसे राम कृष्ण में विष्णु की होती है !!
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