Wednesday, May 30, 2012

ભગવાને સવાર તો બનાવી જ છે

ચાલો  ભગવાને સવાર તો બનાવી જ છે માટે નીશ્ચંત રહેતા શીખો !

आघात तो आते ही है !!

सभी  के जीवन  में  आघात  तो आते ही है !! किन्तु सभी  को  सिध्धार्थ जैसा नहीं लगता  है !! नहीं तो सारा संसार बुध्ध  बन जाता !! वैराग्य  ऐसी वैसी  चीज़ नहीं है  !!


Monday, May 21, 2012

देव एक से अनेक हो सकते है !!

कर्मकांड का कमाल  देखो हम ही प्राण प्रतिष्ठा कर के बुलाते है जो भी विषय के देवता को और कर भी देते है विदाय !! अपने अपने कामो के लिए ..
परमात्मा एक ही है !! देव उनके विविध कार्य विषय अनुसार है ! देव को आवाहन से बुलाया जाता है !! इस पध्धति कर्मकांड में है !!जो जन्मे और मर गए उनकी प्राणप्रतिष्ठ नहीं होती।  फिर भी भक्तो का मन रखने के लिए आचार्य दत्तात्रेय गुरु संत की जगह कर देते है !! देव  एक से अनेक  हो सकते  है !! इसीलिए तो एक  ही समय  पर अनेक जगा  पर अनेक  पुजा  की  जगाओं पर गणेशजी  की स्थापना हो  सकती  है !! जैसे राम  कृष्ण में विष्णु की होती है !!

अखिलाई की बात

अखिलाई की बात समजे तो सही ...

महाराज श्री त्रिकामलालजी के बोध

 महाराज श्री त्रिकामलालजी के बोध बड़े ऊँचे है
अभी  मै  वापी  गया  था वहा  सत्संगी  ने मेरे  पिताजी के  द्वारा लिखी लिखी  प्रस्तावना  एवम  भजन  का पारायण   त्रिकं त्रिकम  तत्व  विलास का सुन कर  याद आया भूमा विद्या !!

इन्द्राणी का महत्त्व है ज्योतिष में

इन्द्राणी का महत्त्व है ज्योतिष में !

Sunday, May 20, 2012

जीवन है चलना !!

जीवन है  चलना  !! कैसी थकन !! सूरज  चलता है !! चाँद चलता है !! तू भी चल मेरे यार !!

तेरा आश्रम बड़ा ऊँचा है !!

अरे ओ गृहस्थ !! तेरा आश्रम बड़ा ऊँचा है !! भीख मांगते है तुजसे दुसरे आश्रमों वाले !! अपने आश्रम को सम्हाल !! बहोत पवित्र आनंद मय  !! जगत के कल्याण विकास का ये महत्त्व का आश्रम छोड़ कर !!   जिम्मेदारी खो कर   क्यों भटकता है व्यर्थ लालच में !!!मन मुरख तू कहा फिरत है हरी तो तेरे पास !!!
सबसे बड़ा आश्रम गृहस्थश्रम  है !!जिसमे पुरुष पति के रूप में स्त्री  बच्चो  से भरा आश्रम जीवित रखता है !!जिम्मेदारी उठाता है !!

समर्पण भावना की विराटता समजे !!

समर्पण भावना की विराटता  को समजे !!
पञ्च तत्व और बिज  के सम्बन्ध से बनता चित्र !! ये क्या यन्त्र है ? ॐ हं यं  रं  वं  लं   ये क्या है ? देह में देखे ! देह स्वयं एक मंदिर है !! पंच देव का ! विश्व देव से ग्राम देव ,ग्राम देव से गृह देव ,गृह देव से देह देव मंदिर  में दर्शन करना है !!!
बस आओ विराट अपने ही पास है !!

आज़ादी मुफ्त में नहीं आई है

देश की आज़ादी मुफ्त में नहीं आई है ! देखने जाओ तो 1857 का युध्ध सही भारत का निर्माण था !! " न किसी की आंख का नूर हु" ..बहादुर शाह !!! जरा समजे इन लोगो को !!
गजब की  बात तो यह है कि हैम १८५७ को महत्व कम दे रहे है सच में देखने जाओ तो इस देश में दिने इलाही नाम का एक धर्म अकबर ने बना कर देश की  एकता के लिए कोशिश की  थी यह कम नहीं है !! बहादुर शाह ने अपना परिवार देश खोया और जैल में रहा !!!

मनुष्य भी प्राणी ही है न ?

 मनुष्य भी गिरा रहता है !! ये भी प्राणी ही है न ?

Friday, May 18, 2012

अधुरा पन

ऐसा नहीं लगता कुछ अधुरा पन     छुपा  है !!!
जातीय   विकास  में अभी भी हम  पशु पशु  के साथ  चल रहे  है !!

छाया

यहाँ हाथ